खुद से प्रकट हुआ था इस मंदिर का प्राचीन शिवलिंग, जाने कहाँ है ये मंदिर

हमारे देश भारत में आपको अनोखे शिव मंदिर देखने को मिल जाएगे। इसी क्रम में हम आपको एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जो कई वर्षो तक जमींन के अंदर गुप्त रहा था।

इसी वजह से इस मंदिर का नाम भी गुप्तेश्वर महादेव मंदिर हो गया। हम बात कर रहे है सिरोही जिले के उमरणी गांव के शिव मंदिर की। यहाँ पर कई प्राचीन मंदिर है लेकिन एक मंदिर करीब 3 वर्ष पूर्व लोगों को मिला था।

यहाँ के लोगो का कहना है कि यहां भद्रकाली मंदिर के पीछे एक शिवलिंग जमीन के अंदर गड़ा हुआ मिला था।

ये है इस मंदिर की कहानी

गुप्तेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग उल्टा था और लगभग 3-4 फ़ीट जमीन में था। आसपास के इलाके में कई प्राचीन प्रतिमाए और मंदिर जैसी बनावट मिली है।

जिससे ये प्रतीत होता है कि किसी समय यहाँ पर भव्य मंदिर हुआ करता था। मंदिर के पास ही पहाड़ी में एक गुफा भी है, जिसे गोगा महाराज की गुफा कहा जाता है।

यहां बना शिवलिंग लगभग 3-4 फीट का है। इसमें कुछ भाग जमीन के बाहर और अधिकांश भाग जमीन के अंदर है। मंदिर में कुछ प्राचीन नंदी भी खंडित अवस्था में दिखाई देते हैं, जो बाहरी आक्रांताओं द्वारा खंडित किए गए थे।

मंदिर के सामने है प्राचीन कुंड

इस मंदिर के आगे ही एक विशाल कुंड है जिसे सूरज कुंड कहा जाता है। ये कुंड पूरी तरह से गोल है और चारो तरफ से कुंड के पेंदे तक जाने के लिए सीढ़ियां नुमा आकृतियां बनी हुई है।

प्राचीन समय में ये जल संरक्षण का सोर्स हुआ करता था। इस मंदिर से कुछ कदम दूर पर बने भेरू मंदिर के आगे भी एक प्राचीन जलाशय बना हुआ है। इन प्राचीन स्थानों की देखरेख नहीं होने से ये अपना अस्तित्व खो रहे है।

राजा अम्बरीष की राजधानी थी अमरावती नगरी

राजा अम्बरीष की राजधानी अमरावती नगरी हुआ करती थी. उस समय यहां कई मंदिर हुआ करते थे. इनमें भगवान ऋषिकेश, भद्रकाली समेत विभिन्न मंदिर आज भी लोगों की आस्था का केंद्र हैं.

श्रावण मास में गुप्तेश्वर महादेव मंदिर, कर्णेश्वर महादेव और आसपास के शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है.

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