सक्सेस स्टोरी : JET परीक्षा में 43rd रैंक पाने वाली दिव्यांग छात्रा अनु की सफलता की कहानी

दोस्तों जब कुछ कर गुजरने का हुनर हो तो दिव्यांगता जैसी बड़ी समस्या भी अपने घुटने टेक देती है। ऐसा ही कुछ दौसा जिले के लालसोट उपखंड क्षेत्र की बेटी अनु शर्मा ने करके दिखाया है।

यह बेटी दिव्यांग होने के बावजूद JET परीक्षा में अच्छे अंक लेकर आई है जिससे अब लोग बधाई देने के लिए उनके घर पहुंचे हैं।

अनु बताया कि जेट परीक्षा में राजस्थान में 43वी रैंक मिली है ऐसे में मुझे बहुत खुशी हो रही है और इसका श्रेय में अपने माता-पिता परिवार और गुरुजनों को देना चाहूंगी।

अनु ने बताया कि वो डेली लगातार 8 से 10 घंटे तक पढाई करती है और इस पढ़ाई में उसके परिवार ने बहुत सपोर्ट किया है।

बचपन से ही अनु दोनों हाथों से दिव्यांग है ऐसे में लोग उन्हें ताना मारते थे और कहते थे कि यह क्या करेगी कुछ पढ़ लिख नहीं पाए की लेकिन अनु आज उन लोगों से कहना चाहते हैं कि अपने दिव्यांग होने के बाद भी सफलता हासिल की जा सकती है

अनु के चाचा मुकेश शर्मा ने बताया कि अनु का जन्म वर्ष 2007 में हुआ था और जन्म से ही वह दोनों हाथों से दिव्यांग पैदा हुई थी।

उसे समय लोगों ने कहा कि इसे तो मर जाने दो और बीमार होती तो लोग कहते इसका इलाज मत करवाओ लेकिन हमने बेटी को बेटी की तरह ही माना और बेटों से भी अधिक मान सम्मान रखा।

अनु को कभी ये महसूस नहीं होने दिया कि वह दोनों हाथों से दिव्यांग है और जेट ऑल इंडिया राजस्थान में 43 सी रैंक हासिल कर इसने पूरे परिवार मान सामान बढ़ाया है।

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